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योगिनी एकादशी – उपवास से मिलता है 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य।

हिन्दू पंचांग में दी गई तिथि के अनुसार योगिनी एकादशी आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को यह व्रत धारण किया जाता है ।इस बार यह 17 जून 2020 को है। योगिनी एकादशी के नाम से जानते हैं। व्रत के दौरान श्रद्धालु अपने इष्ट भगवान विष्णु की पूजा की जाती है ।इस व्रत के द्वारा श्रद्धालु की संपूर्ण मनोकामना पूर्ण हो जाती है। कोविड 19 चलते इस व्रत को धारण करने आपको कठिनाई का सामना ना हो ऐसे में Astro Kavach के संस्थापक और अंतर्राष्ट्रीय गौरव प्राप्त ज्योतिर्विद Astro Dino आपको बेहद सहज तरीके से पूजा अर्चना करने की विधि बताने जा रहे हैं।

व्रत धारण करने की विधि:

1.योगिनी एकादशी का व्रत दशमी तिथि की रात्रि से शुरू हो जाता है ।
2.व्रत एक दिन पूर्व से ही श्रद्धालु चाहिए कि वह तामसिक आहार का सेवन न करें।
3. इसके साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
4. सुबह उठने के उपरांत शारीरिक स्वच्छ होने के बाद व्रत की तरह तैयारी शुरू एक कुंभ की स्थापना करके भगवान विष्णु को अपने इष्ट मानकर जल चढ़ाएं और भोग भी लगाना चाहिए पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए ।
5. भगवान विष्णु को फूल ,धूप एवं जल अर्पित करें पूजा अर्चना विधि विधान पूर्वक पूर्ण करें।
6.पीपल के वृक्ष की पूजा बेहद अहम मानी जाती है।
7.यह व्रत श्रद्धालु के लिए काफी पुण्यकर माना जाता है
8.इस दिन रात्रि जागरण का प्रचलन है इस दिन किसी दूसरे की बुराई नहीं करनी चाहिए अच्छे विचारों को मन में लाना चाहिए भगवान विष्णु का भक्ति, भजन करना चाहिए
9. अगर उपवास रखने मे असमर्थ रहे तो पूरे दिन अन्न का सेवन न करे, सिर्फ फलहारी का सेवन कर सकते है सामर्थ्य अनुसार क्योंकि अन्न ग्रहण करना व्रत को खंडित कर देता है
10. पूरे दिन उपवास के दौरान यथासंभव ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करे।

योगिनी एकादशी व्रत की तिथि 17 जून 2020
पारण का मुहूर्त सुबह के प्रथम पाली 5:28से 8:14 (18 june 2020)
व्रत के पूर्ण अर्थात पारण का समय 09:39 ( 18 june 2020)

योगिनी एकादशी व्रत की महत्व क्या है ?
धार्मिक ग्रंथों की बात करें तो उसमें एकादशी विशेष फलदायक व्रत माना जाता है ।महाभारत के युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने एकादशी कोही अर्जुन को उपदेश दिया था इसके अतिरिक्त श्रद्धालुओं के सभी कष्ट और क्लेश से से मुक्ति मिलती है घर में सुख समृद्धि एवं धन वैभव बढ़ता है यदि धर्म ग्रंथों की बात करें तो इसका उल्लेख पद्मपुराण विस्तृत रूप से बताया गया है कि इस उपवास को करने से व्यक्ति को 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। स्कंद पुराण में जिक्र किया गया है कि जो भी श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ विधि-विधान पूर्वक इस व्रत को धारण करेगा उसे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाएगी इतना ही नहीं शरीर संबंधी समस्त व्याधियों से भी मुक्ति मिल जाएगी।
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