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देवशयनी एकादशी: भगवान भी हो रहे है क्वॉरेंटाइन चतुर्मास तक।

भारतवर्ष के प्राचीन सनातन धर्म में एकादशी व्रत को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक वर्ष 24 एकादशी 12 माह की अवधि में आतीं है। आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पंचांग की दृष्टि से आषाढी एकादशी देवशयनी के नाम भी कहा जाता है। आइए हम जानते हैं। Astro Kavach के संस्थापक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव प्राप्त Astro Dino के माध्यम से जो की इस बार 1 जुलाई को प्रारंभ एवं 24 नवंबर को समाप्त होगी।इस वर्ष मलमास माह के कुछ दिनों कि अधिकता के कारण 24 दिनों तक की वृद्धि हो गई। इसके साथ ही यह एकादशी तिथि 30 जून सांय सात बजकर 49 मिनट से प्रारंभ होगी।

एकादशी तिथि प्रारम्भ- जून 30, 2020 को सायं 7:49 बजे
देवशयनी एकादशी तिथि समाप्त- जुलाई 01, 2020 को सांय 05:29 बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) का समय: 2 जुलाई को समय- 05:24 प्रातः के भीतर प्रातः08:13 बजे

देवशयनी एकादशी व्रत का महत्व:-

1.पुराणों की माने तो इस व्रत में अनुष्ठान करने का विशेष महत्व होता है।
2. मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी व्रत को धारण करने वाला श्रद्धालु के जीवन से समस्त कष्टों से छुटकारा मिल जाता है ।
3.भविष्य की सभी बाधाएं टल जाती है ,घर में धन संपदा
एवं यश की प्राप्ति होती है।
4.व्रत धारण करने की अवधि में भगवान विष्णु एवं पीपल के पेड़ की पूजा करने से भी विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
5.महाभारत के युद्ध होने के दौरान स्वयं भगवान कृष्ण ने एकादशी व्रत का महत्व अर्जुन को युद्ध के समय बताया था 4 माह बीतने के बाद सूर्य देव तुला राशि में प्रविष्ट होते हैं।

व्रत के दौरान किस प्रकार का पहरेज करना चाहिए ?

Best Astrologer of India के अनुसार हमें कुछ स्मरण रखने योग्य बातें बताने जा रहे हैं, इसका पालन करने से ही फल की प्राप्ति संभव है और हमारी कुंडली (horoscope) के दोष समाप्त होते है ।
1. हमारे धर्म शास्त्रों में जो नियम बताए गए हैं, उनका संयम पूर्वक पालन करें ।
2.श्रद्धालुओं को चाहिए, वह व्रत की 1 दिन पूर्व ही प्याज, लहसुन, मांसाहार भोज्य पदार्थ को नहीं खाना चाहिए।
3.व्रत के दौरान ब्रह्मचार्य का पालन करें।
4.दांतो की सफाई के लिए ब्रश का उपयोग ना करें, दातुन का प्रयोग करें।
5.शारीरिक सामूहिक स्वच्छता के बाद मंदिर में जाकर गीता के कुछ अध्याय पढ़ें।
6..श्रद्धा भक्ति के साथ‌ ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ मंत्रजाप करते रहे।
7.अपनी सामर्थ्य शक्ति के अनुसार दान दे।

देव शयनी एकादशी उपवास के बाद मांगलिक कार्य वर्जित:

Astrologer Astro Dino बताते है कि देवशयनी एकादशी के बाद किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य पूर्ण रूप से रोक लगा दी जाती है, क्योंकि उस समय भगवान विष्णु 4 माह के लिए पाताल लोक में शयन करते हैं । परंतु इस वर्ष 4 माह के साथ ही 24 दिन मलमास महीने दिनों के बढ़ जाने के कारण लंबी अवधि तक देवशयनी एकादशी मानी जाएगी ।ऐसे में बिना इष्ट कोई भी कार्य कैसे संपन्न किया जा सकता है ।असल इस दौरान शादी विवाह बुध ग्रह प्रवेश करने के कारण वाहन या घर की खरीदारी मुंडन आदि शुभ कार्य पर रोक लगा दी जाती है। और इस समय पूर्ण रूप से भगवान की पूर्ण भक्ति से पूजा- अर्चना की जाती है

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